आवासीय विद्यालय प्रकल्प |
आवासीय विद्यालय - |
(क) केवल भैयाओं के लिए पूर्णतः आवासीय विद्यालय |
(1) स.वि.मं. केदारधाम, ग्वालियर |
(2) स.वि.मं. विद्यापीठ, शिवपुरी, |
(3) स.वि.मं. शारदा विहार आवासीय विद्यालय, भोपाल |
(4) वैदिक विद्यापीठम् चिचोटकुटी (छिपानेर) |
(ख) केवल बहिनों के पूर्णतः आवासीय विद्यालय |
(1) स.वि.मं. भारती निकेतन भोपाल |
(2) रानी दुर्गावती अनु.जनजाति बालिका छात्रावास गोपालपुर, रायसेन |
(ग) अर्धावासीय (भैया छात्रावास एवं गृहवासी छात्र) विद्यालय संख्या |
(1) स.वि.मं. माधवधाम गहेली (भिण्ड) |
(2) स.वि.मं. आवासीय विद्यालय बैरसिया |
(3) स.वि.मं. भारत भारती जामठी बैतूल |
(4) स.वि.मं. गोविन्द नगर जिला होशंगाबाद |
(5) स.वि.मं. आनंद तीर्थ मातावेदरी जिला भोपाल |
वनवासी प्रकल्प |
जनजातीय छात्रावास प्रकल्प |
भाउराव देवरस सेवा न्यास द्वारा चार आवासीय जनजातीय छात्रावास का संचालन भी किया जा रहा है| उक्त्त छात्रावासों में जनजातीय छात्रों के आवास, भोजन एवं शिक्षा की निःशुल्क व्यस्था की गई है | |
प्रान्त द्वारा संचालित ०९ वनवासी प्रकल्पो में ४०१ छात्र छात्राएं अध्यनरत है. जिन्हें १७ आचार्य एवं ४ महिला आचार्य आवासीय व्यवस्था में रहकर भैया बहिनों को संस्कार देने के कार्य में सतत लगे है. |
सत्र २०१६-१७ में प्रकल्प की छात्र संख्या निम्नानुसार है- |
क्र. | छात्रावास का नाम | स्थान | छात्र | छात्रा | योग |
1 | जनजाति ताप्ती बालक छात्रावास | भारत भारती बैतूल | 35 | 0 | 35 |
2 | जनजाति बालक छात्रावास | धावा (भैसदेही) बैतूल | 42 | 0 | 42 |
3 | बड़ादेव जनजाति बालक छात्रावास | कायदा (टिमरनी) हरदा | 20 | 0 | 20 |
4 | राजा भभूतसिंह जनजाति बालक छात्रावास | मटकुली (पचमढ़ी), | 22 | 0 | 22 |
5 | बिरसा मुण्डा जनजाति बालक छात्रावास | सियरमऊ, रायसेन | 76 | 0 | 76 |
6 | पू. सुदर्शन जनजाति बालक छात्रावास | प्रतापगढ़, रायसेन | 40 | 0 | 40 |
7 | रानी दुर्गावती जनजाति बालिका छात्रावास | गोपालपुर रायसेन | 0 | 139 | 139 |
8 | जनजाति बालक छात्रावास | बेगमगंज, रायसेन | 6 | 0 | 6 |
9 | जनजाति बालक छात्रावास | पचोर, राजगढ़ | 21 | 0 | 21 |
महायोग | 262 | 139 | 401 |
जनजाति छात्रावास देवनगर रायसेन
देवनगर रायसेन
जनजाति छात्रावास कायदा, हरदा
मध्यप्रदेश के हरदा जिला में टिमरनी विकासखंड में सुदूर जंगलों में कायदा नामक स्थल पर वनवासी बालकों के लिए निशुल्क छात्रावास 1 जुलाई 2012 से प्रारम्भ किया गया है | जिसमे अभी 20 बालकों की शिक्षा का प्रबंध किया गया है | सरस्वती विद्या मंदिर, हरदा द्वारा इस छात्रावास की संपूर्ण व्यवस्था संचालित होती है.
सम्पर्क - श्री सुजीत शर्मा 09926438030
आनंदतीर्थ शिक्षा प्रकल्प माता बेदरी शाहपुर
माता वेदरी तहसील बैरसिया जिला - भोपाल
संपर्क - प्रबंधक , श्री नारायण चौहान 07694800266
प्राचार्य - श्री बनवारी धनगर 09644488661
कक्षा ६ से 10 तक (ग्राम्य शिक्षा का प्रकल्प )
आनंदतीर्थ शिक्षा प्रकल्प माता बेदरी शाहपुर
ग्राम भारती शिक्षा समिति मध्यभारत प्रान्त द्वारा संचालित आनंदतीर्थ शिक्षा प्रकल्प माता बेदरी शाहपुर ग्रामींण शिक्षा का एक महत्वकांक्षी प्रकल्प विगत दो वर्षों से संचालित है। प्रकल्प के महत्वपूर्ण उपक्रम
विद्यालय -
गत शिक्षा सत्र में 48 छात्रों से प्रारंभ किया यह विद्यालय आज 224 भैया-बहिनों के लिए प्रभावी शिक्षा केन्द्र के रूप में उभरा है। विद्यालय में 16 ग्रामों से भैया-बहिन पढ़ने आते है। वर्तमान में कक्षा अरूण से दशम् तक यह विद्यालय संचालित है।
शिक्षा में नवाचार -
नये-नये आवश्यक परिवर्तनों को विद्यालय के शिक्षा तंत्र ने स्वीकारा है। इस हेतु गतिविधि आधारित शिक्षण में नये आयामों को जोड़ते हुए प्रयोग है।
विज्ञान में अभिरूचि वाले छात्रों के लिए - इनोवेसन क्लव जिसके माध्यम से प्रत्येक दिन प्रार्थना सभा के बाद विज्ञान के सिद्धान्तों को प्रयोग रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
नवीनतम ज्ञान प्राप्ति हेतु -
नालेज बैंक जिसके माध्यम से अनुभवसिद्ध ज्ञान के माध्यमों को समाचार पत्रों में प्रत्येक दिन स्थान दिया जाता है।
सृजनात्मकता को बढ़ाने हेतु -
क्रिऐटी विटी इस गतिविधि द्वारा कबाड़ से जुगाड़ अर्थात खराब हो चुकी वस्तुओं का उपयोग कर उपयोगी सामान बनाने का कार्य किया जाता है।
सकारात्मकता वृद्धि हेतु -
इस गतिविधि के माध्यम से छात्रों में सकारात्मक अभिवृति की वृद्धि के लिए प्रतिदिन प्रार्थना सभा में सफल व्यक्तियों के जीवन परिचय और उनके जीवन संघर्ष की गाथा सुनाते है।
मस्तिष्क के विकास के लिए
इस गतिविधि के माध्यम से पहेलियों और अन्य गतिविधियों द्वारा छात्रों में तर्कज्ञान का विकास कराने के कार्यक्रम किये जाते है।
इस वर्ष विशेष -
शिशु कक्षाओं के लिए प्रयत्नशील शिशु वाटिका के 12 शैक्षिक व्यवस्थाओं का नियोजन किया है।
उपलब्धियाँ -
जिला स्तर पर खेल आयोजनों में 28 छात्रों ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
आगामी योजना -
कौशल विकास केन्द्र हेतु आई.आई.टी. की मान्यता - ग्राम स्वावलम्बन हेतु अध्यात्मिक कृषि व्यवस्था के प्रयोग का केन्द्र विकसित करना।
माधवधम गहेली- एक परिचय
भिण्ड जिले की मेंहगाँव तहसील के ग्राम गहेली में लगभग 50 एकड़ भूमि पर स्थित एक प्रकल्प है- माधवधाम। यहाँ विभिन्न प्रकार के आयाम संचालित है। जिनमें माधव गौशाला एवं जैव कृषि शोध संस्थान, अवासीय विद्यालय, समग्र ग्राम विकास, संस्कार केन्द्र आदि संचालित हैं।
माधव गौशाला-
माधव गौशाला विगत् आठ वर्षों से संचालित हैं जिसमें छोटी-बड़ी सभी प्रकार की कुल 50 गायें हैं। जो पूरी तरह से सेवा वाली गायें हैं जिन गायों को निःशक्त हो जाने पर छोड़ दिया जाता है उन गायों की सेवा एवं देखभाल माधव गौशाला करती है। गौशाला पूरी तरह समाज पोषित है जिसमें समाज गौ-ग्रास व नगद राशि देकर सहयोग करता है।
जैविक कृषि-
भूमि उपजाऊ एवं पूरी तरह कृषि योग्य हैं जिसमें लगभग 30 एकड़ में स्वदेशी तकनीक से जैविक खाद का उपयोग करते हुए खेती की जाती है। अभी अपर्यापत जल स्त्रोत होने के कारण एक सफल ही कर पा रहे हैं।
आवासीय विद्यालय-
इसका प्रारम्भ सन् 2012 में रामकथा के माध्यम से हुआ। फरवरी 2012 माधवधाम पर हो रही रामकथा के पाॅंचवे और अंतिम दिन अॅंचल की जनता की माॅंग एवं आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए संगठन की योजनानुसार कथाव्यास पं. श्यामस्वरूप जी मनावत ने आवासीय विद्यालय प्रारम्भ करने की घोषणा की और प्रत्येक वर्ष माधवधाम अथवा समीप के किसी भी गाॅंव में रामकथा का आयोजन किया जाएगा ऐसा संकल्प भी व्यक्त किया। पं. श्यामस्वरूप जी मनावत ने प्रकल्प का सरंक्षक बनना भी स्वीकार किया तब से प्रत्येक वर्ष स्थानीय समाज माधवधाम प्रकल्प के विकास हेतु रामकथा का आयोजन करता है।
स्थानीय कार्यकर्ताओं की इच्छानुसार सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान ने जुलाई 2012 से ही आवासीय विद्यालय प्रारम्भ करने का निर्णय किया। वहाॅं पूर्व से इस प्रकार का कोई भवन न होने के कारण माधवमाध से 4 कि.मी. दूर सरस्वती शिशु मंदिर अड़ोखर जो कि स्वामी विवेकानंद ज्ञान प्रसारक मण्डल की भूमि पर संचालित हैं उसे छात्रावास के रूप में उपयोग करने की स्वीकृति मिली। मण्डल के भवन की अनुमति लेकर आवासीय विद्यालय प्रारम्भ हुआ। पहले वर्ष 2012-13 में भवन की क्षमता के अनुसार 40 भैया आवासीय रहे। द्वितीय वर्ष 2013-14 में 70 भैया छात्रावास में रहे। इन दो वर्षों में छात्रावासीय गतिविधियों को देखकर स्वामी ज्ञान प्रसारक मण्डल ने अपना स्वयं का विद्यालय एवं प्रबंध समिति विद्याभारती को सौंपने का निर्णय किया। उस वर्ष आयोजित होने वाली रामकथा जो स्वामी विवेकानंद ज्ञान प्रसारक मण्डल के स्वर्ण जयंती वर्ष पर आयोजित की गयी थी , के दूसरे दिन मण्डल के पदाधिकारियों ने विद्याभारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री माननीय प्रकाशचन्द्र जी की उपस्थिति में विद्यालय परिसर एवं प्रबंध समिति, सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान मध्यप्रदेश से सम्बद्ध करने की घोषणा की।
समग्र ग्राम विकास-
समग्र ग्राम विकास के अन्तर्गत आसपास के 50 गाॅंवों को केन्द्र मानकर वहाॅं स्वच्छता अभियान स्थानीय नागरिकों के माध्यम से चलाया जा रहा है एवं संस्कार केन्द्रों के माध्यम से ऐसे बच्चे जो विद्यालय जाने में असमर्थ हैं उन्हें शिक्षा एवं संस्कार देने का कार्य किया जा रहा है।
पंचवर्षीय योजना-
आगे आने वाले वर्षों में विद्यालय एवं छात्रावास भवन का निर्माण, गौशाला का पृथक से निर्माण, विभिन्न प्रकार के खेल मैदानों का निर्माण, शिवमंदिर का निर्माण जन सहयोग से किया जाने वाला है। भूमि को कृषि योग्य बनाकर जैविक खेती करना और अँचल के किसानों को जैविक कृषि हेतु प्रशिक्षित करना तथा लघु एवं कुटीर उद्योगों के माध्यम से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना आदि हमारी आगामी योजना में सम्मिलित हैं। इस हेतु सम्पूर्ण परिसर का मास्टर प्लान भी तैयार हो चुका है। यह सम्पूर्ण प्रकल्प श्री गोविन्द सिंह लोक शिक्षण संस्थान गहेली जिला भिण्ड मध्यप्रदेश के द्वारा संचालित होगा।
वैदिक विद्यापीठं , चिचोट कुटी
बाबा बजरंगदास कुटी चिचोट छिपानेर जिला - हरदा
संपर्क - प्रबंधक - श्री रामवीर व्यास 09926459681
प्राचार्य - श्री गगन देवड़ा 09926345453
कक्षा ६ से 12 तक (संस्कृत विषयक शास्त्र का अध्ययन)
वैदिक विद्या पीठम् चिचोटकुटी
परिचय
माॅं नर्मदा के तट पर ग्राम चिचोटखेड़ा - छीपानेर, तहसील-टिमरनी, जिला हरदा (म.प्र.) के परम पूज्य श्री बाबा बजरंगदास जी महाराज एवं पूज्यश्री स्वामी तिलक जी की इच्छानुरूप, विद्या भारती एवं संस्कृत भारती मध्यभारत प्रान्त के मार्गदर्षन द्वारा, जुलाई 2014 में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान, भोपाल से सम्बद्धता प्राप्तकर, स्वामी तिलक वैदिक समिति, चिचोट के सुसंचालन में चल रहा है । विद्यालय नित्निरंतर नयी उॅचाईयों के साथ इस वर्ष भी एक चरण ओर अग्रेसर हुआ है । जहाॅं वैदिक भाषा (संस्कृत) का संरक्षण एवं संवर्धन करते हुए अध्ययन एवं अनुसंधान की व्यवस्था हो रही है ।
आज जब पश्चिम की विज्ञान प्रयोगशालाएँ, शोधकर्ताओं के विचार और संकल्पनाएँ किसी एक स्थान पर ठहर जाती हैं, तब नई-नई संकल्पना की आशा में बड़े-बड़े वैज्ञानिक पूर्व की संस्कृति, भारतीय दर्शन और वेद वाडंग्मय का अध्ययन कर रहे हैं। वेदों में लिखे गए विज्ञान के गूढ़ रहस्य वैज्ञानिकों को अचंभित कर रहे हैं। ऐसे में वे नासा जैसे बड़े वैज्ञानिक संस्थानों में भी संस्कृत भाषा से प्रेरित व अध्ययनकर प्रवेश ले रहे हैं। पश्चिमी समाज जहाँ आशा भरी दृष्टि से हमारी ओर देख रहा है ऐसे में हमारा प्राचीन विज्ञान एवं ज्ञान के अध्ययन के लिए विगत् वर्ष में स्वामी तिलक जी महाराज की इच्छानुरूप वैदिक विद्यापीठम् की स्थापना की गई। जहाँ बालकगण आवासीय रहकर संस्कृत भाषा में सभी विषयों का अध्ययन कर रहे हैं।
आधुनिकता की आँधी में हमारा वह ज्ञान आज भी प्रासंगिक है। आवश्यकता है उसे समाधान के रूप में नए स्वरूप के साथ प्रस्तुत करने की। इसी दिशा में यह प्रकल्प प्रारम्भ हुआ है, प्रकृति की गोद में माँ रेवा की कल-कल करती धारा, हरे भरे खेत एवं पक्षियों की सुमधुर कलरव के मध्य पावन भूमि पर स्थित है- वैदिकविद्यापीठम्।
विद्याभारती एवं संस्कृत भारती के मार्गदर्शन से दिनांक 12 जुलाई 2014 शनिवार गुरूपूर्णिमा के पावन अवसर पर विद्यारम्भ संस्कार के साथ विद्यार्थीयों को नवनत्नों की संज्ञा देकर, संस्कृत विद्यालय वैदिकविद्यापीठम् में नवागत् विद्यार्थियों की विद्या का श्रीगणेश किया गया। इसी निरन्तरता के चलते हुए विद्यार्थियों की संख्या चैदह भुव की संज्ञा पर 14 विद्यार्थियों से ‘‘स्वामी तिलक वैदिक समिति, चिचोट’’ के कुशल संचालन से सतत् प्रथम वर्ष में प्रथम चरण रख गया।
प्रस्तावना
- परम पवित्र नर्मदा के तट पर स्थित
- पूज्य बाबा बजरंगदास जी महाराज की तपोस्थली
- स्वामी तिलक जी की साधनास्थली चिचोटकुटी छीपानेर जिला हरदा मे
- स्वामी तिलक जी की महती इच्छानुरूप
- विद्याभारती एवं संस्कृतभारती मध्यभारत से अनुसिंचित तथा
- संघ विचार से अभिप्रेरित देष के प्रख्यात 9 गुरूकुलों के समान
- ‘‘वैदिक विद्यापीठम्’’ संस्कृत विद्यालय के नाम से स्थापना जो
- पूर्ण ख्याति के साथ, भविष्य में निर्माण करने की महती योजना से
- संस्कृत भाषा के प्रकाण्ड विद्वानों एवं चिन्तकों द्वारा बनाया गया है ।
वैदिक विद्या पीठम् ने उद्देष्यों की पूर्ति करने हेतु निम्नवत् कार्य किये हैं:-
- संस्कृत सम्भाषण की कक्षा, वर्तमान में सभी विद्यार्थीयों ने आश्रम के वातावरण को संस्कृतमय बना दिया है
- 18 स्तोत्रों का कण्ठस्थीकरण कराया गया है । जैसे - श्री नर्मदाष्टकम्, श्री मधुराष्टकम्, श्री अन्नपूर्णास्तोत्रम्, श्री रामरक्षास्तोत्रम्, श्री रूद्राष्टकम्, श्री शिवपंचाक्षरस्तोत्रम्, श्री शिवमहिम्न स्तोत्रम्, श्री शिवतांडवस्तोत्रम्, श्री निर्वाणषटकम्, श्री महिषासुरमर्दिनी ।
- वेदों के ज्ञानार्जन में रूद्राष्टाध्यायी, मंगलमन्त्रः, श्रीगणेषाथर्वषीर्षः, श्रीसूक्तः, पुष्पांजलिः इत्यादि कराया गया।
- ग्रन्थों में ग्रन्थ - श्रीमद्भगवतगीता, सप्तषती एवं मूलरामायण के एक-एक अध्याय अर्थसहित बताये गये ।
- वैदिक गणित की 10 विधियों का ज्ञान कराया गया । निखिलं, न्युनं, अधिकेन इत्यादि ।
- संस्कृत के साथ अंग्रेजी सम्भाषण का भी तीन मासिक षिक्षण कराया गया ।
- मध्यप्रदेष निगम की पुस्तकों का अध्ययनपन कराया गया । जिसमें छः विषय संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सा.विज्ञान है,
- सर्वांगीण विकास हेतु अर्थात् आधारभुत विषय - शारीरिक, प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए भी समय निकाल क्रियान्वयन करते हुए सतत् प्रयासरत है ।
- संस्कृतभारती, मध्यभारत द्वारा आयोजित - सरला संस्कृत परीक्षा में 14 विद्यार्थी तथा 1 आचार्य प्रतिभागी हुए ।
सरस्वती विद्या मंदिर,नरेला बैरसिया
विद्याविहार नरेला, बैरसिया
संपर्क - प्राचार्य , श्री गोविन्द कारपेंटर 9425663903
कक्षा ६ से 10 तक
विद्या विहार एक परिचय
शांत एवं सुरम्य प्राकिृतिक वातावरण में स्थित विद्या विहार आवासीय विद्यालय देष के प्रमुख आवासीय विद्यालयों में से एक है। इस विद्यालय की स्थापना 1988 में मा. श्री शरद् जी मेहरोत्रा , माननीय सौदान सिहं जी बघेल, माननीय उत्तमचंद जी ईषराणी, माननीय बिहारीलाल जी के द्वारा की गई । बच्चे असीम प्रतिभा के धनी होते है, उनकी प्रतिभा को निखारने का मतलब है आने वाली पीढ़ी को रचनात्मक एवं कौषालत्मक बनाना । यहाॅ अध्ययनरत् छात्र जो आज भारत ही नही वि'श्व के कई देशों में अपने विद्यालय का नाम रोषन कर रहे है। विद्यार्थियों को उन्नति के षिखर पर ले जाने का व सर्वागीण विकास की परिकल्पना को साकार करने का विद्या विहार अथक प्रयास करता है गुरूकुल षिक्षा पद्धति से संस्कारित , प्रखर एवं उत्कृष्ट नेतृत्व करने वाले पुरूषार्थी युवको का निर्माण कर समाज की कुरूतियों को दूर करते हुए उनमें वांछित परिवर्तन लाने के उद्देष्य से अर्जुन षिक्षा समिति द्वारा नगरीय कोलाहल से दूर सभी प्रकार के प्रदूषण से रहित स्वास्थयवर्धक , लगभग 13 एकड़ में फैला यह विषाल परिसर देष के हृदय स्थल भोपाल से 40 कि.मी भोपाल गुना बस मार्ग पर बैरसिया नगर से 3 कि.मी. दूर स्थित है
यह विद्यालय विद्या भारती अखिल भारतीय षिक्षा संस्थान के मार्गदर्षन में सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान मध्यप्रदेष भोपाल के निर्देषन में तथा अर्जुन सिहं षिक्षा समिति द्वारा संचालित है। माध्यमिक षिक्षा मण्डल के पाठ्यक्रम के साथ बालकों के सर्बागीण विकास के लिए अन्य विषयों एवं कार्यक्रमों को इस विद्यालय में औपचारिक एवं अनौपचारिक रूप से विषिष्ट स्थान प्राप्त है।
प्रथम प्रवास,
तात्कालीन क्षेत्र प्रचारक मा. बाबा साहब नाथू तात्कालीन प्रचारक मा. शरद जी महरोत्रा का प्रथम प्रवास संस्थान में हुआ।
संस्थान को प्रारंभ करने की प्रथम बैठक श्री चंदर सिंह जी राजपूत के निवास पर हुई। जिसमे श्री चंदर सिंह जी राजपूत ने अपने पुत्र स्व. कुॅवर अर्जुन सिंह की स्मृति में 7.5 एकड भूमि संस्था को दान स्वरूप प्रदान की।
भूमि प्राप्त होने के पश्चात् 1988 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य भारत प्रांत के द्वारा प्रथम वर्ष षिक्षण हेतु संस्था में अंग्रेजी खपरेल व लकडी के द्वारा तीन भवनो का निर्माण किया गया । प्रथम वर्ष षिक्षण समाप्त होने के पष्चात इन तीन भवनो मे विद्यालय प्रारम्भ किया गया। विद्याालय में षिषु कक्षाएॅ प्रारम्भ की गयी।
प्रथम प्रधानाचार्य:- श्री ऋषिपाल जी आर्य
प्रथम आचार्य :- श्री नारायण सिंह राजपूत, श्रीमती निर्मला पुरेहा
वर्तमान प्राचार्य :- श्री गोेविन्द कारपेन्टर
सत्र 1995 में श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी के करकमलो से 40 भैयाओ की षिक्षा व रहने की व्यवस्थानुसार छात्रावास का लोकार्पण किया गया ।
सांसद सुश्री उमाभारती जी एवं सांसद श्रीमती सुषमा स्वराज जी द्वारा संस्थान के भव्य आर्कषक सुन्दर द्वार का लोकार्पण किया गया।
संस्थान मे जल व्यवस्था हेतु मा. लक्ष्मीनारायण शर्मा के प्रयासो से श्री राजेन्द्र शर्मा पत्रकार द्वारा अपनी माता जी की स्मृति में कुॅए का निर्माण कराया गया। 4-5 एकड भूमि संस्थान के द्वारा क्रय की गयी।
विद्यालय की पावन भूमि है जहाॅ विभिन्न आयोजन के अवसर पर साधु संत व महानुभावो का आगमन हुआ माननीय अटल विहारी बाजपेयी का भ्रमण, श्रद्देय संत श्री अखण्डानंद जी महाराज आदि अनेक तवस्वी महानुभावो के चरण कमलो ने इस भूमि को पवित्र किया है।
उपलब्धियाॅ :-
सत्र 2015-16 में 6 कक्षा कक्षो का निर्माण अध्यन अध्यापन की दृष्टी से पूर्ण विकसित है।
3 कर्मचारी आवास का निर्माण किया गया।
तकनीकी की दृष्टी से विद्यालय के सभी कक्षो में ब्ण् ब्ण् ज्ण् टण् केमरो की व्यवस्था की गई
समस्त कक्षा के भैया बहिनो का बैरसिया से 100 कि. मी. के आसपास निः शुल्क शैक्षणिक यात्राओं का आयोजन किया गया ।
प्रतियोगी परीक्षाओ की दृष्टि से कक्षा 6. 7. 8. 9. एवं 11 में वस्तुनिष्ठ परीक्षा का आयोजन किया गया।
विद्याालय एवं छात्रावास परिसर में उद्यान विकसित किये गये।
प्रषासनिक क्षेत्र में 02 चिकित्सा क्षेत्र में 07 इंजीनियरिंगक्षेत्र में 12 थलसेना - 12 राजनेता - 15 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रचारक 01 उत्कृष्ट किसान ; जैविक कृषि करने वाले द्ध 52
2015 में विभागीय ; भोपाल द्ध नवीन आचार्य प्रषिक्षण वर्ग सम्पन हुआ।
2015 में जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता सम्पन हुई।
2015 में विद्यालीयन 04 बहिन ने सरहद प्रणाम कार्यक्रम मे भाग लिया।
19 फरवरी 2016 को समस्त भैया बहिनो का कक्षा 12 के भैया बहिनो के दीक्षंात समारोह में सहभोज का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसके मुख्य अतिथि अनुविभागीय अधिकारी श्री आषीष भार्गव थे।
सत्र 2014-15 में हायरसेकेण्ड्री का बोर्ड परीक्षा में भैया कुलदीप दांगी ने 80.6 प्रतिशत अंक एवं कक्षा दषम् मे बहिन तनवी जैन ने 91 प्रतिशत अंक प्राप्त किये।
बालिका विद्यालय, भारती निकेतन
बी सेक्टर बरखेडा भेल, भोपाल
संपर्क - प्रबंधक , श्री नीलेश चतुर्वेदी 7694800274
संपर्क - प्राचार्य , श्रीमति शाम्भवी चतुर्वेदी 9425036011
कक्षा ६ से 12 तक (केबल बहिनों हेतु )
भारती निकेतन बालिका आवासीय विद्यालय
भारती निकेतन, सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान द्वारा मार्गदर्षित प्रथम बालिका आवासीय विद्यालय है, जो मध्यप्रदेष की राजधानी भोपाल के भेल क्षेत्र में स्थापित है। उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम के साथ-साथ बालिका सषक्तीकरण के लिए किये जाने वाले विभिन्न क्रियाकलापों के लिये यह विद्यालय जाना जाता है। प्राचीन गुरूकुल परम्परा में आधुनिक षिक्षा को समावेषित कर यह विद्यालय निरन्तर प्रगति कर रहा है। एक निश्चित दिनचर्या के अनुसार यहाँ निवासरत छात्राएँ अपना अध्ययन कार्य करती हैं।
गायत्री मंत्र जाप के साथ हवन, 45 मिनट की योग साधना, समिति षाखा, संध्यावन्दन एवं मंदिरदर्षन प्रतिदिन की दिनचर्या में अनिवार्य रूप से षामिल किया गया है। योग्य षिक्षको के माध्यम से अध्यापन कार्य, स्वाध्याय के लिए पर्याप्त समय प्रतिदिन की दिनचर्या में उपलब्ध कराया जाता है। Fine arts एवं craft work की साप्ताहिक कक्षाएँ संचालित है। बालिका में नेतृत्व शक्ति , प्रबंधन क्षमता विकसित करने हेतु कन्या भारती एवं समिति षाखा की दायित्ववान बालिकाओं की साप्ताहिक बैठकें/ वर्ग आयोजित होते हैं। श्रम के प्रति उत्तम भावना उत्पन्न करने की दृष्टी से साप्ताहिक श्रम संस्कार का कार्यक्रम होता है। विभिन्न विशयों एवं समसामायिक घटनाओं से बालिकाओं को अवगत कराने हेतु प्रतिमाह संगोष्ठी का आयोजन किया जाता है।
सरस्वती विद्या मंदिर,गोविंदनगर
गोविंदनगर बनखेडी जिला-होशंगाबाद
संपर्क - प्रबंधक , श्री पवन शर्मा 9575801341
संपर्क - प्राचार्य , श्री भवानी पाराशर 9575136279
कक्षा ६ से 12 तक
http://bbslgovindnagar.org/Home.aspx
गोविन्द नगर प्रकल्प-
भाऊसाहब भुस्कुटे स्मृति लोकन्यास गोविन्द नगर द्वारा होशंगाबाद जिले के पलिया पिपरिया स्थान पर समग्र ग्राम विकास का प्रकल्प संचालित है। सामाजिक क्षेत्र में शिक्षा स्वास्थ्य, स्वावलम्बन की दृष्टि से अनेक गतिविधियाँ निरंतर जारी है। इनमें ग्राम ज्ञानपीठ, गौ-विज्ञान एवं अनुसंधान केन्द्र, उद्यानिकी, ग्राम विकास गतिविधियाँ, विद्यालय एवं छात्रावास, व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्र प्रमुख हैं। सत्र 2014-15 में अनेक गतिविधियाँ इन केन्द्रों पर सम्पन्न हुई है जिसकी जानकारी निम्नानुसार है-
ग्राम ज्ञानपीठ -
भारत की प्राचनी विद्याओं को संरक्षित करने की दृष्टि से विगत वर्षों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर-कार्यवाह श्री भैया जी जोशी द्वारा ग्राम ज्ञानपीठ का प्रारम्भ किया गया था। जिसमे ंवर्तमान में माटी शिल्प, धातु शिल्प, काष्ठ शिल्प, गोबर शिल्प एवं लोहा शिल्प का प्रशिक्षण एवं निर्माण किया जा रहा है। शासन के विभिन्न संस्थानों के माध्यम से आयोजित प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन भी ग्राम ज्ञानपीठ पर हो रहा है। इसमें विशेषकर बाँस से निर्मित वस्तुओं का प्रशिक्षण होता है। लगभग 25 एकड़ भूमि पर विभिन्न प्रजातियों के बाॅंस उपलब्ध है।
गौ-विज्ञान अनुसंधान केन्द्र-
सत्र 2013 में प्रारम्भ गौ-विज्ञान व अनुसंधान केन्द्र पर गौवंश के संरक्षण वं संवर्धन हेतु इस वर्ष गौ-पालकों के सम्मेलन एवं प्रशिक्षण आयोजित किए गए। गौ-वंश नस्ल सुधार, दुग्ध उत्पादन, गौ-वंश का स्वास्थ्य परिक्षण, निःशुल्क दवा वितरण जैसी गतिविधियाँ भी सम्पन्न हुई है। आगामी योजनाओं में कृषि क्षेत्र में जैविक कृषि को प्रधानता देते हुए मक्का एवं धान का उत्पादन तथा शेहतूत एवं रेशम के उत्पादन पर भी कार्य प्रारम्भ हो रहा है।
ग्राम विकास गतिविधियाँ-न्यास द्वारा आस-पास के 20 गाँवों में स्वास्थ्य परीक्षण शिविर, नेत्र परीक्षण शिविर का आयोजन किया। 21 गाँवों में संस्कार केन्द्रों का संचालन हो रहा है। ग्रामों की समस्याओं का समाधान करने की दृष्टि से ग्राम के युवाओं की ग्राम विकास समिति बनाकर उन्हें यथोचित सहयोग दिया जा रहा है। आस-पास के ग्रामों में अध्यात्म के पति रूचि बढ़े इस दृष्टि से रामकथा का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष परम् पूज्य अतुलकृष्ण जी भारद्वाज द्वारा रामकथा की गयी।
विद्यालय एवं छात्रावास-
न्यास द्वारा गठित सरस्वती ग्रामोेदय शिक्षा विकास समिति के माध्यम से एक विद्यालय का संचालन भी हो रहा है। जिसमें कक्षा पूर्वार्द्ध से द्वादशी तक 823 भैया-बहिन अध्ययनरत् हैं। भैया बहिनों के सर्वांगीण विकास के लिए पूर्ण सुविधा एवं संसाधन युक्त भवन, खेल मैदान, प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय उपलब्ध हैं। समिति द्वारा संचालित विद्यालय में छात्रावास भी है जिसमें 31 भैया रहकर अध्ययन कर रहे हैं। समिति द्वारा एक विशिष्ट आयाम आदर्श शिशुवाटिका है जो गत् सत्र से प्रारम्भ हुई है। विद्याभारती की शिशुवाटिका संकल्पना के आधार पर मध्यभारत प्रान्त की चयनित शिशुवाटिकाओं में गोविन्द नगर भी है। पूर्णतः स्वतंत्र भवन एवं आचार्य-दीदी के साथ बारह आयामों को आदर्श स्वरूप उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है।
व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्र-
न्यास द्वारा कौशल विकास उन्नयन की योजना भी की गयी है। क्षेत्र के बेरोजगार युवक युवतियों एवं विद्यालयों में अध्ययन छोड़ चुके छात्रों को स्वरोजगार उपलब्ध करवाने व स्वावलम्बन की ओर बढ़ाने के लिये भारत सरकार एवं मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संचालित विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण हेतु संस्थान ने प्रशिक्षण प्रारम्भ किये है। इन प्रशिक्षणों के माध्यम से भारत सरकार एवं मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रदत्त प्रमाण पत्र शासकीय एवं अशासकीय सेवाओं के लिए लाभकारी होंगे। इन प्रशिक्षणों से न केवल बेरोजगारी की समस्या होगी बल्कि प्रदेश में कौशलयुक्त जनशक्ति तैयार होगी।
गोविन्द नगर प्रकल्प:-
1. छात्रावास संचालन- 33 भैया अध्ययनरत।
2. गौशाला संचालन।
3. औषधि उत्पादन- 6 एकड़ भूमि पर लगभग 25 प्रकार की जड़ी बूटियां एवं औषधियां तैयार की जाती है।
4. जैविक खाद एवं जैविक खेती का प्रशिक्षण- वर्ष में चार बार कृषकों के बड़े सम्मेनल आयोजित किये गये जिसमें जैविक खेती के लिए 900 कृषकों का प्रशिक्षण दिया गया।
5. बाँस अनुसंधान एवं प्रशिक्षण- बाँस प्रशिक्षण के बाँस से निर्माण होने वाली सामग्री का निर्माण करना एवं लगभग 1200 लोग स्वरोजगार चला रहे है।
6. संस्कार केन्द्र संचालन- क्षेत्र के 3 कि.मी. सीमा में 21 संस्कार केन्द्र संचालित किये जा रहे है।
7. स्वास्थ्य परीक्षण शिविर-माह में एक बार निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर आयोजित किया जाता है।
8. नेत्र शिविर आयोजन- वर्ष में एक बार निःशुल्क नेत्र शिविर का आयोजन किया जाताहै।
सरस्वती विद्या मंदिर,भारत भारती
भारत भारती परिसर जामठी जिला-बैतुल
संपर्क - प्रबंधक ,श्री मोहन नागर - 9754811555
संपर्क - प्राचार्य , श्री राहुल ठाकरे 8962252232
कक्षा ६ से 12 तक
भारत भारती आवासीय विद्यालय
सतपुड़ा की सुरम्य पर्वत श्रृंखलाओं के बीच प्राकृतिक वातावरण में स्थित भारत भारती आवासीय विद्यालय देश के प्रमुख आवासीय विद्यालयों में से एक है। वर्तमान में इस विद्यालय में पूर्वार्द्ध से लेकर द्वादशी तक भैयाओं के अध्ययन की व्यवस्था है। कक्षा 6वीं से 12वीं तक सामान्य भैयाओं की व अनुसूचित जन-जाति के भैयाओं की भी आवासीय व्यवस्था है। नवीन सत्र 2015-16 में अत्याधुनिक व्यवस्थाओं एवं सुविधाओं से युक्त 270 भैयाओं के रहने के लिए नवीन छात्रावास (प्रकृति भवन) तैयार हो चुका है जिसमें इसी सत्र से छात्रावासी भैया निवास कर सकंेगे।
शैक्षिक उपलब्धियाँ-
हमारा सर्वव्यापी उद्देश्य ही अभावग्रस्त क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार और जनजागरण से देश के विकास में योगदान करना है। इस हेतु समिति द्वारा संचालित आवासीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्षेत्र की अग्रणी शिक्षण संस्थाओं में है। गौरव का विषय है कि गत् सत्रों में विद्यालय का परीक्षा परिणाम शत्-प्रतिशत रहा है। शिक्षा के आधुनिकीकरण और इसमें रूचि पैदा करने की दृष्टि से विद्यालय में टीचनेक्स्ट कंपनी प्रोजेक्टर सिस्टम क्रय किया गया है, जो 03 कक्षा-कक्षों में स्थापित है। इसके द्वारा भैया-बहिन दृश्य और श्रृव्य माध्यम से अपने विभिन्न विषयों का अध्ययन करते हैं और अपनी जिज्ञासाओं, शंकाओं का समाधान करते हैं। विद्यालय द्वारा गत् सत्र से कक्षा 11 में कृषि संकाय प्रारम्भ किया गया है।
व्यावसायिक प्रशिक्षण-
भारत भारती शिक्षा समिति द्वारा वनवासी युवाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ एवं स्वाबलंबी बनाने के उद्देश्य से परिसर में ही व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की गई है, जिसमें मोटर वाइडिंग, बुक वाइडिंग, स्क्रीन प्रिंटिग, सिरेमिक आर्ट, चित्रकला, सिलाई तथा सीमेंट के पेयर्स ब्लाॅक निर्माण आदि का प्रशिक्षण योग्य प्रशिक्षकों द्वारा दिया जाता है।
जैविक कृषि-
भारत भारती शिक्षा समिति द्वारा बहुउद्देशीय और महत्वपूर्ण प्रकल्प के रूप में जैविक कृषि प्रक्षेत्र जिले के कृषक बंधुओं का माॅडल एवं प्रेरणास्पद बन गया है। मध्यप्रदेश कृषि एवं उद्यानिकी विभाग द्वारा संचालित कार्यक्रमों, कृषि दर्शन, किसान रथ यात्रा आदि के अन्तर्गत राजगढ़, हरदा, होशंगाबाद तथा बैतूल जिले के लगभग 18 विकासखण्डों से 360 कृषक इस प्रकल्प दर्शन हेतु आये हैं। इससे प्रेरणा लेकर अपने जिले में यहाँ की उन्नत तकनीकों, खाद की विभिन्न विधियों तथा इसके निर्माण संबंधी गतिविधियों से परिचित हो लाभ प्राप्त कर चुके हैं। ज्ञात हो कि भारत भारती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में गत सत्र प्रारम्भ हुये कृषि संकाय के छात्र भी प्रयोग आधारित इस पद्धति में पारंगत हो रहे हैं। इस कृषि प्रक्षेत्र में खाद की विभिन्न विधियाँ जैसे- वर्मी कम्पोस्ट, नाडेफ, समाधी खाद, सींग खाद, गोबर खाद, अमृत खाद, तथा हरी खाद, एवं जैव कीटनाशकों में प्रभावी जैव कीट नियंत्रक, गोमूत्र, पंचगव्य, छाछ आदि का प्रयोग किया जाता है। वैसे इस प्रक्षेत्र की कृषि भूमि पूर्णतः सिंचित हैं, किन्तु असिंचित तथा अल्प सिंचित इलाकों में खेती का भरपूर लाभ और प्रेरणा लेने के लिये प्रायोगिक आधार पर मल्विंग पद्धति से भी कृषि की जा रही है। जिसमें कम सिंचाई तथा अल्प परिश्रम में भी श्रेष्ठ फसल उत्पादन किया जा सकता है।
जल संवर्धन -
समिति द्वारा भूमि के जल स्तर को बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष जहाँ भैयाओं से श्रमदान द्वारा बोरी बंधान करवाया जाता है, वहीं पंचायत की सहायता से प्रवेश द्वार के सामने वाली पुलिया के नीचे स्टाॅप डेम का निर्माण भी करवाया है। वर्षा के जल को सभी भवनों से एकत्रित कर डेढ़ एकड़ में निर्मित कृत्रिम तालाब एवं परिसर के कुँओं में पहुँचाया जाता है जिससे वर्ष भर यहाँ पानी की कमी नहीं होती। अभिनव प्रयोग के रूप में विद्यालय भवन एवं नवीन छात्रावास में दैनिक उपयोग के अपशिष्ट जल को संग्रहित कर तथा कोयला, बोल्डर एवं रेत द्वारा शोधन कर लगभग 1 लाख लीटर जल को एक विशाल टंेक में संग्रहित किया जाता है जिससे वर्तमान में 2 एकड़ भूमि को सिंचित किया जा रहा है। नवनिर्मित छात्रावास में इसके अतिरिक्त और भी जल संवर्धन के विभिन्न उपाय किये गये हैं जिससे वर्षागत जल व्यर्थ न बहकर खेती तथा भूमिगत जल की वृद्धि में उपयोगी सिद्ध हो सके।
भारतभारती, जामठी बैतूल:-
1. व्यवसायी प्रशिक्षण केन्द्र- भारतभारती जनजातीय छात्रावास में मोटर वाइडिंग, बिजली फिटिंग,
सिलाई, बुक बाइडिंग, स्क्रीन प्रिंटिंग, झाडू निर्माण, औषधी निर्माण, कृषि बागवानी, हस्तकला आदि
का प्रशिक्षण छात्रों को दिया जाता है।
2. छात्रावास संचालन- ताप्ती छात्रावास का संचालन जिसमें 40 वनवासी भैयाओं के निःशुल्क
शिक्षा एवं आवास की व्यवस्था।
3. सुगन्धित तेल शोधन केन्द्र (ऐरोमेटिक आईल)ः- भारत भारती शिक्षा समिति द्वारा बैतूल
जिले में तिखाड़ी घास (पामा रोजा) के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इस वनस्पति के तेल से सभी
प्रकार के परफ्यूम व इत्र का बेस आईल होता है। विद्यालय के छात्र एवं वनवासियों को इसकी
खेती के लिए प्रेरित करना व प्रशिक्षण दिया जाता है।
मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के संयोग से इसका संयंत्र स्थापित किया गया है
जिसमें वनवासी ग्रामीण अपने खेतों में इसकी घास से तेल निकालकर धनोपार्जन करते है।
4 जैविक खेती एवं जैविक खाद प्रशिक्षण- 1000 ग्रामीण वनवासियों को प्रतिवर्ष प्रशिक्षण
दिया जाता है जिसमें जैविक खाद (नाडेस, बर्नी कम्पोस्ट, फ्लेरी खाद आदि) का प्रशिक्षण
दिया जाता है।
5. औषधि प्रयोगशाला प्रशिक्षण- भारत भारती वनवासीयों के लिए औषधि प्रयोगशाला को
संचालित करती है जिसमें च्यवनप्राश, इन्टीऐस्टिक चूर्ण, कई प्रकार के क्लाथ आदि निर्माण
किया जाता है। प्रतिवर्ष लगभग 300-400 किलोग्राम च्यवनप्राश निर्माण किया जाता है।
सरस्वती विद्या मंदिर,केदारधाम
शिवपुरी लिंक रोड , ग्वालियर
संपर्क - प्रबंधक , श्री सुनील दीक्षित - 9039641121
संपर्क - प्राचार्य , श्री सुरेन्द्र मौर्य - 9644001221
कक्षा 6 से 12 तक CBSE से संचालित
http://ssmkedardham.com/
केदारधाम, ग्वालियर-
विद्याभारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान विश्व का सबसे बड़ा अशासकीय शिक्षण संस्थान हैं। सन् 1952 में उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में प्रथम शिशु मंदिर से प्रारम्भ योजना अपनी स्वर्णं जयंती मना चुकी है। विद्या भारती से मार्गदर्शित व सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान मध्यप्रदेश से सम्बद्ध मध्यभारत प्रान्त का एक बहु आयामी प्रकल्प हैं- केदारधाम ग्वालियर।
सरस्वती शिशु मंदिर, केदारधाम शकर के कोलाहलपूर्ण वातावरण से दूर, शिवपुरी लिंक रोड़ पर स्थित है। लगभग 40 एकड़ भूमि पर फैला विद्यालय सभी प्रकार के खेल मैदानों से युक्त परिसर आधुनिक शिक्षा तकनीक और सर्वांगीण विकास की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। यह विद्यालय संपूर्ण देश के लगभग 150 आवासीय विद्यालयों में (सी.बी.एस.ई.) केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध मध्यप्रदेश का प्रथम आवासीय विद्यालय है।
व्यवस्थाए एवं सुविधाए-
विद्यालय में आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों से सुसज्जित गणित, भौतिक, रसायन, व जीव विज्ञान की पृथक-पृथक सुसज्जित प्रयोगशालाए हैं। इन प्रयोगशालाओं में प्रयोग कार्य हेतु सहायक सामग्री, आवश्यक चाटर्स, स्लाईड्स, प्रोजेक्टर आदि की सुविधाए हैं। स्मार्ट क्लास (डिजीटल क्लास रूम) के द्वारा भी विद्यार्थियों को अध्यापन कार्य कराया जाता है। अंग्रेजी की महत्ता को ध्यान में रखते हुए अंग्रेजी सम्भाषण की विशेष कक्षाओं की व्यवस्था की गई हैं। विद्यालय का परिपूर्ण कम्प्यूटर विभाग हैं जिसमें उपयुक्त संख्या में कम्प्यूटर सिस्टम, सहायक सामग्री एवं चाट्र्स के माध्यम से एवं पढ़ाने की दृष्टि से योग्य प्रशिक्षित आचार्य हैं। विद्यालय में पुस्तकालय के साथ वाचनालय की व्यवस्था है जहाँ विभिन्न विषयों की पाठ्यपुस्तकों के अतिरिक्त साहित्यिक, सामाजिक, धार्मिक साहित्य हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत के उत्कृष्ट शब्दकोश के साथ उपलब्ध हैं। वाचनालय में हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा के दैनिक समाचार पत्र के साथ साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक पत्रिकाए भी उपलब्ध रहती हैं जिनका उपयोग बालक रिक्त समय में करते हैं। विद्यालय में खेलकूद एवं शारीरिक कार्यक्रमों की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है। यहाँ फुटबाल, वालीबाल, टेबिल-टेनिस, बैडमिंटन, हेण्डबाल, कुश्ती, एथलेटिक्स आदि की राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं का प्रतिवर्ष आयोजन भी होता है। एन.सी.सी. आर्मी विंग (एम.पी. 15 बटालियन) की शाखा के माध्यम से 50 कैडेट्स प्रतिवर्ष प्रशिक्षित होते हैं। ग्वालियर महानगर का एकमात्र ऐसा विद्यालय जहा मलखम्ब प्रशिक्षण की भी विशेष व्यवस्था हैं।
विशेष-
केदारधाम परिसर में ही सेवाभारती के माध्यम से एक छात्रावास का संचालन किया जाता है जहाँ लगभग 100 वनवासी विद्यार्थियों हेतु निःशुल्क आवास एवं भोजन की व्यवस्था की गई है। ये सभी विद्यार्थी न्यूनतम शुल्क पर अपने विद्यालय में अध्ययन के साथ विद्यालय में होने वाली विभिन्न गतिविधियों में अपना सक्रिय सहयोग प्रदान करते हैं। इस परिसर में एक गौशाला का संचालन भी किया जाता है। जहाँ लगभग 250 निःशक्त गायों के संरक्षण की व्यवस्था की गयी है। उत्कृष्ट नवग्रह वाटिका एवं विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों की वाटिका भी विद्यार्थियों के शैक्षिक एवं आध्यात्मिक विकास में सहयोगी हैं।
सरस्वती विद्यापीठ,शिवपुरी
सरस्वती विद्यापीठ,शिवपुरी लिंक रोड शिवपुरी
संपर्क - प्रबंधक , श्री ज्ञानसिंह कौरव 7694800259
संपर्क - प्राचार्य ,श्री हेमंत दीक्षित 9981803803
कक्षा ६ से 12 तक
saraswatividyapeethshivpuri.com
एक परिचय
सरस्वती विद्यापीठ शिवपुरी-
सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान मध्यप्रदेश द्वारा संचालित सरस्वती विद्यापीठ आवासीय विद्यालय शिवपुरी की स्थापना सन् 1988 में हुई। यह विद्यालय शिवपुरी शहर में स्वच्छ सुरम्य एवं एकांत वातावरण और शहर के कोलाहल से दूर फतेहपुर क्षेत्र में स्थित हैं। यह विद्यालय प्राचीन गुरूकुल परंपरा का जीता जागता आधुनिक परिदृश्य है, जहाँ पर विभिन्न अँचलों से भैया आवासीय रहकर अध्ययन करते हैं।
सर्व प्रथम 25 भैयाओं के साथ विद्यालय प्रारम्भ किया गया था। उस समय भवन के नाम पर मात्र एक कोठी ही थी, जिसमें विद्यालय व आवास दोनों ही व्यवस्थाएँ संचालित थी। भैयाओं की संख्या में उततरोत्तर वृद्धि के साथ ही आगामी कक्षाओं की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए समिति ने भवन व अन्य संसाधनों को जुटाना प्रारम्भ किया। इस हेतु विद्यालय भवन, प्रज्ञा पुस्तकालय, संगणक प्रयोगशाला तथा विभिन्न विषयों जैसे भौतिक, रसायन, जीव-विज्ञान, कृषि विज्ञान आदि की संसाधनों से युक्त प्रयोग शालाएॅं स्थापित की गई। आधुनिक तकनीक को ध्यान में रखते हुए विद्यालय में दो स्मार्ट क्लास स्थापित की गई है जिनके माध्यम से सभी विषयों का अध्यापन कार्य सरल हो गया है।
सरस्वती विद्या मंदिर,शारदा विहार
शारदा विहार परिसर केरवा डेम मार्ग, भोपाल
संपर्क - प्रबंधक , श्री अजय शिवहरे - 7747006751
संपर्क - प्राचार्य , श्री राजेश तिवारी 7747006752
कक्षा ६ से 12 तक CBSE से संचालित
http://shardavihar.org/
शारदा विहार शैक्षिक संस्थान-
शारदा विहार जनकल्याण समिति भोपाल द्वारा संचालित शारदा विहार शैक्षिक संस्थान अर्थात् मानवीय मूल्यों के साथ आधुनिक शिक्षा का समावेश। भैयाओं के सर्वांगीण विकास की अवधारणा को स्पष्ट करने के लिए शारदा विहार शैक्षिक संस्थान में विभिन्न आयामों को स्थापित किया गया है। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकल्पों में शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, जैविक कृषि एवं गौशाला का संचालन हो रहा है।
आवासीय विद्यालय- संख्या- वर्तमान वर्ष में विद्यालय में 7 राज्यों के 48 जिलों से 635 भैया अध्ययनरत् हैं। इनकी शिक्षा साधना में व्यवस्था एवं शिक्षण मिलाकर कुल 52 आचार्य एवं दीदीयाँ अपनी सेवाएॅं दे रहे हैं। इनकी दैनिक दिनचर्या को सरलता प्रदान करने के लिए महिला पुरूष मिलाकर कुल 65 कर्मचारी कार्यरत हैं।
कामधेनु गौशाला एवं अनुसंधान केन्द्र-
कामधेनु गौशाला पिछले वर्षों में आत्मनिर्भर हुई है। दूध की गुणवत्ता बढ़े और गौवंश सुरक्षित रहे इसलिए गौशाला में डाॅक्टर नियमित बुलाया जा रहा है। गौवंश के खानपान की दृष्टि से अधिक पौष्टिक आहार की उपलब्धता की जा रही है। इस वर्ष 25 गौवंश दूध के लिए तैयार हो रहे हैं। कुल 150 लीटर दूध प्रतिदिन वर्ष भर भोजनालय को प्रदाय किया गया है।
अनुसंधान केन्द्र में कुल 42 प्रकार की औषधि का निर्माण किया गया। अभी वर्तमान में 6 जिलों में औषधि विक्रय केन्द्र स्थापित किए गए हैं। जहाँ हमारे कार्यकर्ता वितरण का कार्य कर रहे हैं। अनुसंधान केन्द्र में कुछ नए उत्पाद तुलसी अर्क तथा विषतेल बनाना प्रारम्भ किया गया है। आॅंवले के उत्पाद भी बनाए गए हैं जिसका विक्रय किया जा रहा है।
शारदा विहार शिक्षा महाविद्यालय भोपाल-
शारदा विहार जनकल्याण समिति के अथक प्रयासों से इस वर्ष अपने परिसर में शारदा विहार शिक्षा महाविद्यालय प्रारम्भ हो गया है। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय द्वारा द्वारा कालेज को मान्यता भी प्राप्त हो गयी है। प्रथम वर्ष ही महाविद्यालय में 100 विद्यार्थी हो चुके हैं जो कि अपने आप में उपलब्धि है। शिक्षक प्रशिक्षण के लिए उपयोगी डी.ई.एल.एड. और डी.पी.ए.एस.ई. कोर्स भी अतिशीघ्र प्रारम्भ होने वाले हैं।
मध्यप्रदेश के बैतुल जिला में भैसदेही विकासखंड में वनवासी बालकों के लिए निशुल्क छात्रावास १ जुलाई २०११ से प्रारम्भ किया गया है | जिसमे अभी २५ बालकों की शिक्षा का प्रबंध किया गया है |
बालिका छात्रावास रायसेन
रानी दुर्गावती बालिका आवासीय छात्रावास,रायसेन
मध्यप्रदेश के रायसेन जिला मुख्यालय पर वनवासी बालिकाओं के लिए निशुल्क छात्रावास 1 जुलाई 2011 से प्रारम्भ किया गया है | जिसमे अभी 140 बालिकाओं की शिक्षा का प्रबंध किया गया है |छात्रावास अब पूर्ण विद्यालय के रूप में प्रारंभ हो गया है. इस छात्रावास में वनवासी क्षेत्र की बहिने अध्यनरत है. प्राचार्य के रूप में सुश्री शाम्भवी शर्मा एवं संस्थान के सचिव श्री नीलेश चतुर्वेदी बहिनों के संस्कारपक्ष पर सतत प्रयत्न करते रहते है.वर्त्तमान में १३9 बहिने अध्यनरत है.
रानी दुर्गावती अनुसूचित जनजाति बालिका छात्रावास
सांची मार्ग, गोपालपुर रायसेन (म.प्र.)
देश विविध प्रदेषों में अनेक क्षेत्र हैं जहां लाखों की संख्या में गिरिवासी व वनवासी समाज के लोग रहते हैं। इन समाजों में रहने वाली बालिकाओं में धर्मनिष्ठा, जीवन की सरलता, श्रद्धा व विनम्रता जैसे सद्गुणों की खान पाई जाती है साथ ही वे प्रतिभाओं की धनी भी होती हैं परन्तु जीवन की आवष्यक व आधुनिक सुविधाओं से वंचित इन क्षेत्रों में इन बालिकाओं को अपनी प्रतिभा का प्रदर्षन करने का अवसर प्राप्त नहीं हो पाते हैं औेर वह समाज की मुख्य धारा से अलग हो जाती हैं।
विद्याभारती षिक्षा के क्षेत्र में अपने विभिन्न आयामों के माध्यम से समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए संस्कारित, सस्ती व सुलभ षिक्षा उपलब्ध कराने के लिए भगीरथी प्रयास कर रही है। इन्हीं प्रयासों में जनजाति क्षेत्र की बालिकाओं के सर्वांगीण विकास के लिए और भारतीय संस्कृति व भारतीय जीवन मूल्यों से युक्त षिक्षा के माध्यम से बालिकाएॅ अपने जीवन में स्वस्थ्य, सबल, व सषक्त बनें उनकी बुद्धिमत्ता, ज्ञान-सम्पदा व विवेक शक्ति प्रखर बने, उनके व्यवहार में सद्गुणों व सुप्त क्षमताओं का विकास हो सके इन्हीं उद्देष्यों की पूर्ति हेतु सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान म.प्र. के द्वारा ष्जनजातीय बालिकाओंष् के लिए गुरूकुल षिक्षा पद्धति पर आधारित ष्रानी दुर्गावती अनुसूचित जनजाति बालिका छात्रावासष् की स्थापना सन् 2011 में की गई। वर्तमान में यह छात्रावास ष्भाउराव देवरस सेवा न्यास म.प्र. भोपालष् के द्वारा सहयोग से संचालित होकर नए आयामों को छू़ रहा है।
वर्तमान स्वरूपः- यह छात्रावास स्वयं की 10 एकड़ भूमि पर शहर के कोलाहल से दूर प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच सुसज्जित भवन एवं आध्यात्मिक वातावरण में संचालित है। जिसमें वर्तमान में 140 बहिनें अध्ययनरत है।
एक दृष्टि में:-
जिला तहसील ग्राम कुल बहिनें
07 15 78 140
कार्यक्रमः-बालिकाओं में भारतीय संस्कृति, रीति एवं परम्पराओं के साथ उनका सर्वांगीण विकास होे इस दृष्टि से वर्ष भर विभिन्न उत्सव ,पर्व एवं महापुरूषों की जयन्तियों का आयोजन विस्तृत योजना बनाकर किया जाता है। साथ ही शारीरिक, प्राणिक मानसिक, बौद्धिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए छात्रावास की दिनचर्या में विभिन्न कार्यक्रमों का भलिभांति समायोजन किया गया है। अभिभावक बन्धु/भगिनी भी विद्याभारती की रीति-नीति से परिचित हों इस हेतु अभिभावक सम्मेलन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। बालिकाओं के प्रबोधन के लिए समय-समय पर अतिथियों, वक्ताओं, षिक्षाविदों, समाजसेवियों एवं प्रषासनिक अधिकारियों को आमंत्रित किया जाता है।
बहिनों के कौषल विकास की दृष्टि से उनमें उद्यमिता एवं स्वावलम्वन का भाव जागृत करने के लिए सिलाई, कढ़ाई-बुनाई चित्रकला, हस्तकला, पाककला, एवं तकनीकि षिक्षा के लिए विषेषज्ञों द्वारा प्रषिक्षण की समय-समय पर व्यवस्था की जाती है आत्म-रक्षा की दृष्टि से बालिकाओं को जूडो-कराते, ताईक्वांडो आदि का प्रषिक्षण भी दिया जाता है।
बालिकाओं की उपलब्धियाॅंः-
क्रीड़ा के क्षेत्र में:- इस वर्ष 140 बहिनों में से 120 बहिनों ने खेलों में भाग लिया जिनमेें- खो-खो, कबड्डी, हेन्ड-वाॅल, ताई-क्वांडों, कुंगफू आदि खेलों में प्राप्त स्तर से लेकर अखिलभारतीय स्तर तक सहभागिता की। शासकीय स्तर पर मुख्यमंत्री कप महिला कबड्डी में राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया। जिला स्तरीय युवा उत्सव में लोक-नृत्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
बहिनों के अनौपचारिक कार्यः- दिनचर्या में नित्यप्रति प्रातः स्मरण वन्दना-प्रार्थना, यज्ञ-हवन, श्रमसाधना, नियमित शाखा एवं खेल, संध्या वंदन, जन्मोत्सव, गौ-सेवा, पक्षियों को दाना-पानी देना, पर्यावरण संरक्षण एवं स्वच्छता अभियान के कार्य बहिनों द्वारा सेवाभाव से किए जाते हंै। ज्ञानार्जन हेतु वनसंचार, देषदर्षन, सरस्वती यात्रा, सामाजिक सरोकार हेतु धार्मिक स्थलों पर स्वच्छता एवं भजन संध्या के आयोजन किए जाते हैं।
हमारी आगामी योजनाएॅः-
ऽ स्वयंसिद्धा कौषल विकास केन्द्र का सुभारम्भ।
ऽ कम्प्यूटर षिक्षा की उत्तम व्यवस्था।
ऽ कक्षा षष्टी से द्वादषी तक डे-स्काॅलर विद्यालय का संचालन।
ऽ जैविक कृषि द्वारा रासायनिक पदार्थ रहित सब्जियों का उत्पादन।
ऽ गौ-संवर्धन हेतु गौषाला का उन्नयन।
जनजातीय छात्रावास सिअरमऊ, जिला रायसेन
वनवासी ग्राम विकास पर आधारित, सामाजिक, शैक्षणिक, धार्मिक गतिविधिओं का केंद्र है | जनजातीय छात्रावास, जैविक कृषि प्रशिक्षण, पर्यावरण संरक्षण जागरूकता अभियान, गौ मंदिर इसी श्रृंखला की एक कड़ी है छात्रावास में 40 वनवासी भैया निःशुल्क अध्यनरत् हैं , गुरुकुल शिक्षा पद्धति पर आधारित शिक्षा प्रणाली से भैयाओं का सर्वांगीर्ण विकास करने में, अच्छे नागरिक गढ़ने में उनमें स्वाभिमान जाग्रत करने में हम सब प्रयासरत् हैं|
सम्पर्क - श्री नीलेश चतुर्वेदी 09406566585
सियरमऊ प्रकल्प:-
1. सियरमऊ प्रकल्प वनवासी ग्राम विकास पर आधारित, सामाजिक, शैक्षणिक, धार्मिक गतिविधियों का केन्द्र है।
2. जनजाति छात्रावास, जैविक कृषि प्रशिक्षण, पर्यावरण संरक्षण जागरूकता अभियान, गौ मंदिर इसी श्रृंखला की एक कड़ी है।
3. छात्रावास में 40 वनवासी भैया निःशुल्क अध्ययनरत है।
4. गुरूकुल शिक्षा पद्धति पर आधारित शिक्षा प्रणाली से भैयाओं का सर्वांगीण विकास करने में, अच्छे नागरिक गढ़ने में उनमें स्वाभिमान जाग्रत करने में हम सब प्रयासत है।